नशे पर लगेगी लगाम! तंबाकू कंपनियों में विदेशी निवेश पर प्रतिबंध लगा सकती है केंद्र सरकार

नशे पर लगेगी लगाम! तंबाकू कंपनियों में विदेशी निवेश पर प्रतिबंध लगा सकती है केंद्र सरकार

नशे पर लगेगी लगाम! तंबाकू कंपनियों में विदेशी निवेश पर प्रतिबंध लगा सकती है केंद्र सरकार

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि प्रस्ताव के अनुसार तंबाकू उत्पादों और इसी तरह के प्रोडक्ट की किसी भी ब्रांडिंग में एफडीआई पर जल्द ही एफडीआई प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं.

Tobacco FDI : सिगरेट, तंबाकू और पान-मसाला से होने वाले जानलेवा नुकसान से तो आप वाकिफ ही होंगे, लेकिन फिर भी कुछ लोग इस जहर से अपनी जिंदगियां बर्बाद कर रहे हैं. हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लड़कों की तुलना में लड़कियों की सिगरेट पीने की संख्या में इजाफा हुआ है. हालांकि आने वाले दिनों में सिगरेट और तंबाकू और भी महंगा हो सकता है. जी हां, सीएनबीसी-आवाज की एक रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार, तंबाकू इंडस्ट्री में विदेशी निवेश (FDI) पर कुछ प्रतिबंध लगा सकती है. सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार सिगरेट निर्माता कंपनियों के लिए एफडीआई प्रतिबंधों का दायरा बढ़ाने पर विचार कर रही है, और प्रौद्योगिकी गठजोड़ में विदेशी निवेश को प्रतिबंधित कर सकती है.

कैबिनेट के पास भेजा जा सकता है प्रस्ताव

रिपोर्ट के मुताबिक अगर प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है, तो तंबाकू उत्पादों की किसी भी फ्रेंचाइजी, ट्रेडमार्क और तंबाकू की किसी भी ब्रांडिंग और सिगार जैसे समान विकल्पों में एफडीआई पर जल्द ही प्रतिबंध लगाया जा सकता है. अभी, सरकारी नियमों के तहत तंबाकू उत्पादों के निर्माण में किसी भी एफडीआई की अनुमति नहीं है. मीडिया में ये खबर सामने आने के बाद आईटीसी, गॉडफ्रे फिलिप्स, वीएसटी इंडस्ट्रीज, एनटीसी इंडस्ट्रीज और गोल्डन टोबैको के शेयरों में 1-3 फीसदी की गिरावट आई है. आपको बता दें कि एफडीआई पर प्रतिबंध लगाने वाला प्रस्ताव फिलहाल वाणिज्य मंत्रालय के समक्ष विचाराधीन है और इसे मंजूरी के लिए कैबिनेट के पास भेजा जा सकता है.

बजट में भी तंबाकू इंडस्ट्री पर टैक्स में बढ़त की उम्मीद

अभी ये स्पष्ट नहीं है कि सिगरेट और तंबाकू इंडस्ट्री के लिए नियमों में बदलाव से दिग्गज कंपनियों के कारोबार पर क्या असर पड़ेगा, तम्बाकू उद्योग को अक्सर नियामक दबावों का सामना करना पड़ता है, जिसमें विशेष रूप से केंद्रीय बजट से पहले संभावित कर वृद्धि भी शामिल है. गौरतलब है कि स्वास्थ्य पर प्रभाव को लेकर बढ़ती चिंताएं और धूम्रपान के खिलाफ जागरूकता अभियान भी समय के साथ सिगरेट की खपत को कम कर सकते हैं. विश्लेषकों ने बताया है कि वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 23 तक वीएसटी इंडस्ट्रीज के लिए सिगरेट की मात्रा में मामूली गिरावट आई है, जो 8556 मिलियन यूनिट से बढ़कर 8253 मिलियन यूनिट हो गई है.

स्रोत: india.com