हमास लीडर इस्माइल हानिया की हत्या के बाद न सिर्फ इजराइल-हमास के बीच टेंशन बढ़ी है, बल्कि इसका असर वैश्विक स्तर पर हुआ है. ईरान, अमेरिका समेत भारत की भी चिताएं बढ़ गई हैं. हानिया की मौत पर हालांकि अभी तक भारत की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. उधर मिडिल ईस्ट में US ने अतिरिक्त लड़ाकू विमानों को तैनात करने की तैयारी कर ली है.
इस्माइल हानिया की मौत से न सिर्फ हमास बल्कि कई अन्य देशों में भी हलचम मची हुई है. अमेरिका, ईरान समेत भारत भी घटना के बाद टेंशन में है. इस मामले में बुधवार शाम तक, नई दिल्ली की तरफ से कोई प्रतिक्रिया जारी नहीं जारी की गई. तेहरान में जिस शपथ समारोह में शामिल होने के लिए इस्माइल हानिया पहुंचे थे, वहां केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद थे. लेकिन अब सवाल खड़े हो रहे हैं कि हानिया की मौत दुनिया और भारत के लिए क्या मतलब रखती है? क्यों वैश्विक स्तर पर शक्तिशाली देशों की टेंशन बढ़ गई है, जिसमें भारत भी शामिल है.
हानिया की मौत का सबसे बड़ा झटका हमास को लगा है. आतंकी संगठन के शीर्ष नेताओं हानिया का नाम शामिल था. हानिया और देइफ दोनों की मौत, संगठन के लिए बड़ा नुकसान मानी जा रही है. वहीं, अगर इजराइल के नजरिए से देखें तो, ये हमास को बेअसर करने के अपने मिशन के लिए एक बड़ी जीत है. इस पूरी घटना को हमास एक उकसावे की कार्रवाई के रूप में देखता है. ऐसा इसलिए क्योंकि वो राजनीतिक ब्यूरो के प्रमुख थे, वो हमास का सार्वजनिक चेहरा थे और बंधक सौदे और युद्ध विराम की शर्तों पर बातचीत कर रहे थे. निश्चित तौर पर इजराइल के लिए, हमास का ये गुस्सा चिंताजनक हो सकता है.
भारत के लिए क्यों चिंता की बात?
इस घटनाक्रम पर भारत ने अभी तक अपना विचार नहीं रखा है. मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए भारत काफी सजग है. हालांकि, हमास और उसके लीडर्स के प्रति भारत का कोई पॉजिटिव पक्ष नहीं है. लेकिन, भारत इस बात का जरूर ध्यान रखना चाहता है कि कोई भी ऐसी टिप्पणी न की जाए जिससे परस्थितियां खराब हो जाएं, विशेष तौर पर भारत के प्रति.
भारत की अभी सबसे बड़ी चिंता और कोशिश यही है कि क्षेत्र में शांति और स्थिरता बने, जहां लगभग 9 मिलियन भारतीय रहते हैं और काम करते हैं. अपने नागरिकों के प्रति भारत की ये चिंता जायज भी है. इसके अलावा, इसी छेत्र से भारत को लगभग दो-तिहाई कच्चे तेल की जरूरत पूरी होती है.
हानिया की मौत से ईरान को इजराइल क्या देना चाहता है संदेश?
हानिया की हत्या की जगह भी वैश्विक स्तर पर मची हलचल का एक कारण माना जा रहा है. तेहरान में हानिया पर हुआ लक्षित हमला एक उग्र कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है. शपथ समारोह में शामिल होने के लिए पहुंचे हानिया ने ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई से भी मुलाकात की थी. माना जा रहा है कि ईरान में ही इस हत्या को अंजाम देने, इजराइल का एक संकेत था. दावा किया जा रहा है कि इजराइल ईरान को ये बताना चाहता था कि ईरान के संरक्षण में भी हमास और उसके लीडर्स सुरक्षित नहीं हैं.
बढ़ेगी बदले की भावना
हमास के खिलाफ जंग में इजराइल हानिया की मौत को एक बड़ी सफलता के तौर पर देख रहा है. इसके साथ ही मोहम्मद देइफ की हत्या भी उसके लिए बड़ा सफलता थी. इसी दबाव में इजराइल चाहेगा कि वो हमास के बचे हुए आतंकियों को ठिकाने लगा दे. वहीं, दूसरी ओर हमास के दो शीर्ष नेताओं की मौत के बाद संगठन आग बबूला है, और बदले की कार्रवाई कर सकता है. जिससे वैश्विक स्तर पर, कई देशों के लिए चिंताएं बढ़ सकती है. 7 अक्टूबर के हमले के बाद, इजराइल-हमास के बीच बंधकों की रिहाई के लिए बातचीत हुई थी. लेकिन अब वो भी मुश्किल मानी जा रही है.
मिडिल ईस्ट में बढ़ी टेंशन
मिडिल ईस्ट में बढ़ रहे तनाव को देखते हुए भारत ने अपने नागरिकों और यात्रा करने वाले लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी है. भारत ने इजराइल में भारतीय नागरिकों को सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने को भी कहा है. उधर अमेरिका ने भी इस मामले में चिंता जाहिर की है. अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा कि वो क्षेत्र में बढ़ रहे तनाव को लेकर चिंतित हैं.
अमेरिका ने मिडिल ईस्ट में अपने अतिरिक्त लड़ाकू विमानों और नौसेना के युद्धपोतों को तैनात करने का फैसला लिया है. ये जानकारी खुद अमेरिका ने दी है. पेंटागन ने कहा कि वॉशिंग्टन ईरान और उसके सहयोगियों, हमास और हिजबुल्ला के खतरों से खुद को मजबूत करना चाहता है.
स्रोत: tv9