थेरेपिस्ट ने कहा इतने कूल पैरेंट्स भी ना बनें, टीनेजर्स की परवरिश को लेकर दिए कई काम के सुझाव

थेरेपिस्ट ने कहा इतने कूल पैरेंट्स भी ना बनें, टीनेजर्स की परवरिश को लेकर दिए कई काम के सुझाव

थेरेपिस्ट ने कहा इतने कूल पैरेंट्स भी ना बनें, टीनेजर्स की परवरिश को लेकर दिए कई काम के सुझाव

किशोरावस्था में बच्चों के साथ कितना उदार होना है और कितना सख्त रवैया अपनाना है यह समझने में माता-पिता को अक्सर ही उलझन होने लगती है. ऐसे में थेरेपिस्ट के बताए कुछ टिप्स काम के साबित हो सकते हैं. 

Parenting: सभी माता-पिता के जीवन में वो मुश्किल भरा वक्त जरूर आता है जब उनके नन्हे-मुन्ने बड़े होने लगते हैं और किशोरावस्था में कदम रखते हैं. यह वो समय है जब ना तो बच्चों को बच्चा कहा जा सकता है और ना ही बड़ा. किशोरावस्था (Teenage) में अक्सर ही बच्चे लड़ने-झगड़ने वाले हो जाते हैं, कभी भी उन्हें मूड स्विंग्स होने लगते हैं, अपनी बात मनवाने के लिए जिद करने लगते हैं, माता-पिता से दूर होने लगते हैं और अपने में ही रहना पसंद करने लगते हैं. ऐसे में माता-पिता बच्चों को समझने की कोशिश करते हैं और उनके साथ उदार रवैया अपनाते हैं. लेकिन, इस उदार रवैये पर थेरेपिस्ट रिरी त्रिवेदी का कहना है कि माता-पिता को इतना कूल पैरेंट (Cool Parent) भी नहीं बनना चाहिए. 

रिरी त्रिवेदी का अपना इंस्टाग्राम अकाउंट है जिसपर उनके 678k फॉलोअर्स हैं. वे अक्सर ही अलग-अलग तरह के टिप्स वगैरह इंस्टाग्राम पर साझा करती रहती हैं. अपने ऐसे ही एक वीडियो में रिरी ने बताया है कि क्यों माता-पिता (Parents) को जरूरत से ज्यादा कूल पैरेंट बनने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. रिरी का कहना है कि माता-पिता अक्सर ही कूल पैरेंट बनने के लिए बच्चे को किशोरावस्था में कदम रखते ही हर काम की छूठ दे देते हैं, यह कहते हुए कि अब हम दोस्त हैं और किसी तरह के रूल्स वगैरह नहीं हैं. लेकिन, रिरी कहती हैं कि किशोर बच्चों के दिमाग को कायदे कानून और स्ट्रक्चर की जरूरत होती है क्योंकि टीनेज ब्रेन अडल्ट ब्रेन नहीं है और उसे पूरी तरह से डेवलप होने में अभी समय है. इसीलिए टीनेजर्स कई चीजें इंपल्स के साथ करते हैं, सोचे-समझकर नहीं. 

रिरी त्रिवेदी का अपना इंस्टाग्राम अकाउंट है जिसपर उनके 678k फॉलोअर्स हैं. वे अक्सर ही अलग-अलग तरह के टिप्स वगैरह इंस्टाग्राम पर साझा करती रहती हैं. अपने ऐसे ही एक वीडियो में रिरी ने बताया है कि क्यों माता-पिता (Parents) को जरूरत से ज्यादा कूल पैरेंट बनने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. रिरी का कहना है कि माता-पिता अक्सर ही कूल पैरेंट बनने के लिए बच्चे को किशोरावस्था में कदम रखते ही हर काम की छूठ दे देते हैं, यह कहते हुए कि अब हम दोस्त हैं और किसी तरह के रूल्स वगैरह नहीं हैं. लेकिन, रिरी कहती हैं कि किशोर बच्चों के दिमाग को कायदे कानून और स्ट्रक्चर की जरूरत होती है क्योंकि टीनेज ब्रेन अडल्ट ब्रेन नहीं है और उसे पूरी तरह से डेवलप होने में अभी समय है. इसीलिए टीनेजर्स कई चीजें इंपल्स के साथ करते हैं, सोचे-समझकर नहीं. 

स्रोतः एनडीटीवी इंडिया