किसी वजह से अभी नहीं बन्ना चाहते हैं माता-पिता! तो इन बातों का रखें ध्यान, इस सरकारी अस्पताल में करें संपर्क

किसी वजह से अभी नहीं बन्ना चाहते हैं माता-पिता! तो इन बातों का रखें ध्यान, इस सरकारी अस्पताल में करें संपर्क

किसी वजह से अभी नहीं बन्ना चाहते हैं माता-पिता! तो इन बातों का रखें ध्यान, इस सरकारी अस्पताल में करें संपर्क

सच्चिदानंद/पटना. आज के आधुनिक दौर में पुरुष हो या महिला, अपने पेशेवर और सामाजिक रूप से व्यस्तता के कारण बच्चे पैदा करने के लिए लंबा इंतजार करना पसंद करते हैं. लोग अपने जीवन में एक स्थिरता के बाद ही फैमिली प्लानिंग के बारे में सोचते हैं. लेकिन उनको यह डर भी सताता है कहीं उम्र में देरी की वजह से सीमन या अंडा की क्वालिटी खराब ना हो और पेरेंट्स बनने में दिक्कत ना आए. दंपतियों के इस उलझन का समाधान अब राजधानी पटना के सरकारी अस्पताल में भी उपलब्ध है.

जी हां, कोई दंपती किसी कारणवश अभी माता-पिता नहीं बनना चाहते तो वे अपना अंडा या शुक्राणु फ्रीज कराकर रख सकते हैं. भविष्य में जरूरत के अनुसार उसका इस्तेमाल कर सकते हैं. इसकी व्यवस्था पटना आईजीआईएमएस के रिप्रोडक्टिव मेडिसिन विभाग ने की है. आइजीआइएमएस के मेडिकल सुपरिटेंडेंट सह उपनिदेशक डॉ. मनीष मंडल ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि हमारा अस्पताल बिहार का पहला ऐसा सरकारी अस्पताल है जहां पुरुषों और महिलाओं का अंडा सुरक्षित रखा जा सकता है.

दस साल तक रख सकते हैं
डॉ. मनीष मंडल ने आगे बताया कि वैसे महिला-पुरुष अपना अंडा या शुक्राणु फ्रीज कराते हैं, जो किसी बीमारी, करियर बनाने या किसी अन्य वजह से अभी संतान सुख प्राप्त करना नहीं चाहते हैं. उनको ऐसा लगता है कि चार पांच साल बाद शुक्राणु या अंडे की क्वालिटी ठीक नहीं रहेगी तो वैसे लोग फ्रीज कराते हैं. इस संस्थान में शुक्राणु या अंडा को 10 साल तक फ्रीज कराकर रखा जा सकता है. लेकिन यह दंपतियों के अंडा की क्वालिटी पर निर्भर करता है. इसके लिए प्रति वर्ष मेंटेनेंस खर्च 7000 रुपए देना होगा.

आईवीएफ भी सस्ते दर पर
पटना का आईजीआईएमएस ऐसा अस्पताल है जहां हर बीमारी का इलाज सस्ते दर पर किया जाता है. यहां आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) की भी सुविधा भी काफी कम खर्च पर उपलब्ध है. इस वजह से संतान सुख से वंचित दंपती बड़ी संख्या में आते हैं. आपको बता दें कि आईवीएफ के लिए इस अस्पताल में लगभग 60 हजार से 70 हजार रुपए तक खर्च होता है. जबकि, प्राइवेट में दो लाख से तीन लाख तक खर्च होते हैं.

स्रोत: news18