Alka Yagnik Hearing Disorder: अलका याग्निक ने खोई सुनने की क्षमता, जानें अचानक कैसे बहरे हो सकते हैं आप?

Alka Yagnik Hearing Disorder: अलका याग्निक ने खोई सुनने की क्षमता, जानें अचानक कैसे बहरे हो सकते हैं आप?

Alka Yagnik Hearing Disorder: अलका याग्निक ने खोई सुनने की क्षमता, जानें अचानक कैसे बहरे हो सकते हैं आप?

Hearing Disorder: क्या कभी आपके कानों में पड़ने वाली आवाज धीमी हो जाती है? कोई ध्वनि हल्की सुनाई देती है या कानों में अचानक झनझनाहट महसूस होती है? या फिर एक अथवा दोनों कानों से अचानक कम सुनाई देने की शिकायत होती है। अगर ऐसी समस्या आपको या किसी जानने वाले को है तो सतर्क हो जाएं। ये खबर आपके ही काम की है।

बॉलीवुड गायिका अलका याग्निक ने अपने सुनने की क्षमता खो दी है। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए उन्होंने इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि उन्हें कान से संबंधित एक दुर्लभ बीमारी हो गई है। अपनी सुरीली आवाज से लोगों के कानों में मधुर ध्वनि पहुंचाने वाली अल्का याग्निक को सुनाई न देने की शिकायत अचानक हुई, जब वह एक फ्लाइट से यात्रा के बाद उतरीं तो उन्हें महसूस हुआ कि कुछ सुनाई नहीं दे रहा। उनके डॉक्टरों ने अल्का को दुर्लभ बीमारी से पीड़ित बताया। आइए जानते हैं अल्का याग्निक की बीमारी के बारे में, जिसने उनके सुनने की क्षमता को छीन लिया। 

अलका याग्निक ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट के माध्यम से इस बात की जानकारी देते हुए लिखा, ‘मेरे सभी प्रशंसकों, दोस्तों, फॉलोअर्स और शुभचिंतकों के लिए….। कुछ सप्ताह पहले मैं एक फ्लाइट से उतरी तो मुझे महसूस हुआ कि मुझे कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा है। कई सप्ताह बाद थोड़ी हिम्मत जुटाकर अब मैं दोस्तों और शुभचिंतकों को इस बारे में बता रही हूं, जो मुझसे लगातार पूछ रहे हैं कि मैं कहां गायब हूं। जांच में मेरे डाॅक्टर्स को दुर्लभ बीमारी सेंसरी नर्व हियरिंग लॉस का पता चला है, जो मुझे एक वायरल अटैक के कारण हुआ है। अचानक हुई इस घटना ने मुझे आश्चर्य में डाल दिया।

अलका याग्निक ने अपनी पोस्ट में इस बीमारी से बचाव के लिए सलाह देते हुए लिखा, तेज आवाज में संगीत न सुनें और हेडफोन का कम इस्तेमाल करें।

सेंसरी नर्व हियरिंग लॉस क्या है

सेंसरी नर्व हियरिंग लॉस कान से संबंधित बीमारी है, जो कान के अंदरूनी हिस्सा ( कोक्लिया) या सुनाई देने वाली नस (ऑडिटोरी नर्व) में समस्या के कारण होती है। पुणे के एक अस्पताल में डॉक्टर जाकिर एम खान बताते हैं, ‘कान से दिमाग तक संदेश पहुंचाने वाली नसों में क्षति की वजह से धीरे-धीरे या अचानक से सुनने की क्षमता खो सकती है। इस समस्या को ”सेंसेरिन्यूरल हियरिंग लॉस” भी कहते हैं।’ यह हियरिंग लॉस अक्सर स्थायी होता है और इसे चिकित्सा या सर्जरी से ठीक नहीं किया जा सकता। हालांकि सही चिकित्सा और सुनाई देने वाले उपकरणों से नियंत्रित किया जा सकता है।

सेंसरी नर्व हियरिंग लाॅस के लक्षण

  • आवाज धुंधली और स्पष्ट न सुनाई देना
  • उच्च आवृत्ति की आवाजें, जैसे बच्चों की आवाज, पक्षियों की चहचहाहट, या दरवाजे की घंटी सुनने में कठिनाई होती है।
  • वार्तालाप में समस्या आती है, विशेष रूप से शोरगुल वाले स्थानों में बातचीत को समझने में कठिनाई होती है।
  • कान बजने या कान में घंटी बजने जैसा महसूस होता है।

बीमारी के कारक

  • उम्र बढ़ने के साथ कान की नसें कमजोर हो जाती हैं।
  • लगातार तेज आवाज़ों में रहने से कान के अंदर के सेंसरी सेल्स को नुकसान पहुंच सकता है।
  • कुछ लोगों में यह समस्या वंशानुगत होती है।
  • संक्रमण जैसे मैनिंजाइटिस, मंप्स, और अन्य वायरल संक्रमण से कान की यह बीमारी हो सकती है।
  • सिर पर चोट लगने से कान के अंदर के हिस्से को नुकसान हो सकता है।

बचाव के तरीके

  • तेज आवाज वाले स्थानों, लाउड म्यूजिक और लंबे समय तक ईयरफोन के इस्तेमाल से बचें।
  • कानों की नियमित सफाई और संक्रमण से बचाव के उपाय करें।
  • हेडफोन या इयरफोन का उपयोग करते समय आवाज का स्तर कम रखें और लंबे समय तक उपयोग से बचें।
  • बुजुर्गों को नियमित रूप से कान की जांच करानी चाहिए।

डॉक्टर जाकिर एम खान कहते हैं कि यह समस्या उम्र बढ़ने के साथ हो सकती है, अचानक हो सकती है या फिर जन्म से ही शिशु में मौजूद हो सकती है। जिस तरह से अब लोग शोरगुल और लाउड म्यूजिक की तरफ बढ़ रहे हैं, कान की नसे क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। इससे बचने के लिए समय-समय पर कान की जांच करवाते रहना चाहिए। साथ ही अचानक सेंसरी हियरिंग लॉस की शिकायत न हो इससे बचने का प्रयास करते हुए बहुत तेज आवाज या संगीत सुनने से बचना चाहिए। 

—————नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस और स्वास्थ्य विशेषज्ञ से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है। 

अस्वीकरण: हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

स्रोत: अमर उजाला