UAE के बाद अब रूस में भी बनेगा हिंदू मंदिर! PM मोदी के दौरे से पहले उठी मांग

UAE के बाद अब रूस में भी बनेगा हिंदू मंदिर! PM मोदी के दौरे से पहले उठी मांग

UAE के बाद अब रूस में भी बनेगा हिंदू मंदिर! PM मोदी के दौरे से पहले उठी मांग

रूस के हिंदू समुदाय की ओर से यह मांग कि गई है वहां पर भी एक हिंदू मंदिर स्थापित होना चाहिए. यह मांग भारतीय राष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र सीता (SITA) के अध्यक्ष सैमी कोटवानी ने की.

आपको बता दें कि आज से छह दिन बाद यानि 8 जुलाई को प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत के लिए रूस जा रहे हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से यह उनकी पहली यात्रा होगी. लेकिन पीएम मोदी के रूस पहुंचने से पहले ही वहां के हिंदू समुदाय की तरफ से एक विशेष इच्छा जाहिर की गई है. उनकी मांग है कि रूस में भी एक हिंदू मंदिर स्थापित हो. यह मांग रूस में भारतीय राष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र ‘सीता’ के अध्यक्ष सैमी कोटवानी ने उठाई है.

कोटवानी का मानना है कि रूस में मंदिर का उद्देश्य, वहां बढ़ते हिंदू समुदाय को एक ऐसी जगह उपलब्ध कराना है. जहां वो पूजा-पाठ और आध्यात्मिक क्रियाकलाप कर सकें. कोटवानी के मुताबिक, हाल के सालों में कई भारतीय, छात्र और पेशेवर रूस में बस गए हैं. ऐसे में मंदिर होने से उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक जरूरतें पूरी होंगी.

मंदिर की मांग से दोनों देशों के संबंधों में आएगी खटास?

मालूम हो कि रूस एक रूढ़िवादी ईसाई धार्मिक मान्यता में विश्वास रखने वाला देश है. ऐसे में मंदिर की मांग से क्या भारत-रूस के संबंधों में खटास आएगी? इस पर सीता के अध्यक्ष कहते हैं- मंदिर की हमारी मांग से भारत-रूस संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद नहीं है. आमतौर पर यह देश हिंदू धर्म सहित कई अन्य धर्मों और संस्कृतियों के प्रति बहुत ही उदार रहा है.

रूस में रहते हैं लगभग 30 हजार हिंदू

रूस-भारत का पुराना मित्र और साझेदार रहा है, इसलिए यह अनुरोध मजबूत द्विपक्षीय संबंधों के अनुरूप है. अध्यक्ष ने आगे कहा कि रूसी सरकार इसे हमारे लोगों के बीच संबंधों को और मजबूत करने के तौर पर सकारात्मक रूप से देखेगी. कोटवानी को उम्मीद है कि मंदिर भारतीयों के लिए ही नहीं, अन्य धर्मावलंबियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र होगा.

उन्होंने कहा, ‘…रूस में हिंदू आबादी लगभग 30 हजार है. इसमें मुख्य रूप से भारतीय प्रवासी शामिल हैं. इसलिए इतनी बड़ी आबादी की धार्मिक व आध्यात्मिक जरूरतों की पूर्ति के लिए यहां मंदिर आवश्यक है.

रूस में कैसे हुई हिंदू धर्म की शुरूआत

बताया जाता है कि रूस में 19वीं सदी के आखिर में हिंदू धर्म दिखाई देने लगा था. जिसे ‘पेरेस्त्रोइका’ कहा जाता है, इसका अर्थ होता है- पुनर्गठन. यह तब इस्तेमाल किया जाता है जब गतिरोध को खत्म करने के लिए राजनीतिक और आर्थिक प्रणालियों को बदलने पर ध्यान केंद्रित हो. 19वीं सदी में रूस में बसने और काम करने के लिए अप्रवासियों, अनेक जाति व धर्म के लोगों का बुलाया गया. कहा जाता है कि भारतीय पुस्तकों, योग और अध्यात्म जैसी चीजों ने सोवियत संघ काल में हिंदू मान्यताओं का अध्ययन करने में मदद की, जो 1990 के दशक में नास्तिकता की ओर झुका हुआ था।

पीएम मोदी ने किया था UAE के पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन

आपको बता दें इस साल की शुरूआत में प्रधानमंत्री मोदी ने मुस्लिम देश संयुक्त अरब अमीरात में पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन किया था. ऐसे में रूस में हिंदू मंदिर और सांस्कृतिक केंद्र महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वह समुदाय के लिए एक सुरक्षित स्थान का प्रतिनिधित्व करते हैं. यहां पर हिंदू संगठन धार्मिक समूह के साथ ही समुदाय-निर्माण गतिविधियों के केंद्र के रूप में भी काम करते हैं.

स्रोत: india.com