इंदौर |
इंदौर के ऐतिहासिक मंदिरों में नवरात्रि महापर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस वर्ष माता का आगमन गज (हाथी) पर हुआ है, जिसे देश की प्रगति और कृषि उन्नति का प्रतीक माना जाता है। इंदौर के हरसिद्धि और बिजासन मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं।
आज सोमवार से शारदीय नवरात्रि शुरू हो गई। देवी शक्ति की उपासना का यह महापर्व कभी नौ और कभी-कभी दस दिन का होता है। इस दौरान मंदिरों में धूम रहती है। सामान्य बोलचाल की भाषा में शारदीय नवरात्रि को छोटी नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि को बड़ी नवरात्रि कहते हैं, पर धूमधाम शारदीय नवरात्रि में अधिक रहती है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि में आई माता का वाहन गज यानि हाथी है, जो बहुत ही शुभ और देश की प्रगति का सूचक है। शारदीय नवरात्रि में इंदौर के ऐतिहासिक देवी मंदिरों में माता भक्त बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। शहर के प्राचीन मंदिरों में हरसिद्धि और बिजासन मंदिर प्रमुख हैं।
क्यों शुभ है गज का आगमन
देवी आराधना में ग्रहों का विशेष महत्व रहता है। देवी का गज पर आगमन यानि कृषि के साथ देश की आर्थिक उन्नति का प्रतीक माना जाता है। देवी मंदिरों के प्रवेश द्वार पर हाथी निर्मित होते हैं। नगर में अन्नपूर्णा मंदिर के प्रवेश द्वार पर विशाल हाथी इस बात का प्रमाण है। इंदौर नगर में देवी मंदिरों में दर्शनार्थियों की भीड़ और गरबा स्थलों पर गरबा खेलने वाले युवक-युवतियों की भीड़ से रौनक रहेगी।
शिव और शक्ति की प्रधानता
मराठा शासकों के अंतर्गत इंदौर जिसके होलकर प्रमुख थे। नगर में शिव और देवी मंदिरों की प्राचीन मूर्तियां और मंदिर नगर में करीब 200 वर्ष से विद्यमान है। मराठाकाल के निर्मित मंदिरों में शिव और शक्ति के मंदिरों की प्रधानता रही है। इन मंदिरों की निर्माण की मराठा शैली इस बात का प्रमाण है। नगर में प्राचीन देवी मंदिर इस बात का प्रमाण है।
हरसिद्धि माता मंदिर
इंदौर नगर के मध्य में स्थित हरसिद्धि माता का मंदिर आस्था और श्रद्धा का मुख्य केंद्र है। नदी के सम्मुख निर्मित देवी हरसिध्दि का मंदिर हरिराव होलकर के कार्यकाल (1834-1843) में निर्मित हुआ था। ऐसी मान्यता ही की स्वप्न में देवी ने एक ब्राह्मण को रात्रि में कहा कि सुबह एक प्रतिमा मिलेगी इसे उसी स्थान पर प्रतिष्ठित करो, स्वप्न साकार हुआ। होलकर राज्य के अधिकारियों को यह बात बताई गई और देवी हरसिद्धि का मंदिर का निर्माण करवाया गया। यहां नवरात्रि में भक्तों की काफी भीड़ रहती है।
बिजासन देवी नौ रूपों के विराजित
इंदौर के देवी अहिल्या बाई होलकर हवाई अड्डे के समीप स्थित टेकरी पर स्थित माता का मंदिर काफी प्राचीन है। इस मंदिर की प्राचीनता को लेकर इतिहास की पुस्तकों में विशेष उल्लेख नहीं है। इस मंदिर में देवी नौ स्वरूपों में विराजित है। अतीत में यहां अधिक घना जंगल होने के कारण यह मंदिर तंत्र-मंत्र सिद्धि का केंद्र रहा होगा। किवदंती है कि आल्हा-उदल ने यहां देवी अनुष्ठान किया था। महाराजा शिवाजीराव होलकर की इच्छा पूर्ण होने पर उन्होंने एक चबूतरे का निर्माण करवाया था। यह मंदिर इंदौर के लोगों की विशेष आस्था का स्थल है। मंदिर के सामने स्थित तालाब और आसपास का वातावरण काफी मनोरम है।