USA H1-B Visa: ट्रंप के फीस बढ़ोतरी का निकला तोड़, अप्लाई करें L -1, O -1, O PT वीजा के लिए

USA H1-B Visa: ट्रंप के फीस बढ़ोतरी का निकला तोड़, अप्लाई करें L -1, O -1, O PT वीजा के लिए

USA H1-B Visa: ट्रंप के फीस बढ़ोतरी का निकला तोड़, अप्लाई करें L -1, O -1, O PT वीजा के लिए

USA H1-B Visa :

ट्रंप के फीस बढ़ोतरी का निकला तोड़, अप्लाई करें L -1, O -1, O PT वीजा के लिएअमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के एक बड़े फैसले ने दुनियाभर के पेशेवरों को झटका दिया है। 21 सितंबर से प्रभावी नए H-1B वीजा आवेदनों के लिए 100,000 डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) का भारी-भरकम शुल्क लागू कर दिया गया है। यह शुल्क केवल अमेरिका के बाहर से आवेदन करने वालों पर लागू है, जबकि मौजूदा वीजा धारक और नवीनीकरण या विस्तार चाहने वाले इससे मुक्त हैं। H-1B वीजा विशेष व्यवसायों के लिए नियोक्ता-प्रायोजित वीजा है। यह 3 से 6 साल तक वैध होता है।भारतीय पेशेवर H-1B वीजा धारकों का 70% से अधिक हिस्सा हैं। वे अब इस बढ़ी हुई लागत के कारण अमेरिकी जॉब मार्केट में प्रवेश के लिए अन्य रास्ते तलाश रहे हैं। इनमें L-1 वीजा (कंपनी के इंटरनल ट्रांसफर), O-1 वीजा (असाधारण प्रतिभा), EB-5 वीजा (निवेशक) और OPT (वैकल्पिक व्यावहारिक ट्रेनिंग) जैसे विकल्प शामिल हैं। आइए, इन वीजा के खर्च और पात्रता को विस्तार से समझते हैं।

L-1 वीजा: कंपनी में इंटरनल ट्रांसफर

L-1 वीजा उन कर्मचारियों के लिए है जो किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी के विदेशी कार्यालय से अमेरिकी दफ्तर में ट्रांसफर हो रहे हैं। यह दो तरह का होता है। अव्वल तो L-1A (प्रबंधक/कार्यकारी) और दूसरा L-1B (विशेषज्ञ ज्ञान वाले कर्मचारी)।

इसकी लागत में USCIS फाइलिंग शुल्क 1,055 डॉलर (लगभग 92,000 रुपये), वैकल्पिक प्रीमियम प्रोसेसिंग के लिए 2,805 डॉलर (लगभग 2.5 लाख रुपये) और कानूनी शुल्क 4.4 लाख से 22 लाख रुपये तक शामिल हैं। पात्रता के लिए आवेदक को पिछले तीन साल में कम से कम एक साल तक कंपनी के लिए विदेश में काम करना होगा और कंपनी का अमेरिका व विदेश में दफ्तर होना अनिवार्य है।
O-1 वीजा उन लोगों के लिए है विज्ञान, कला, शिक्षा, व्यवसाय या खेल में असाधारण उपलब्धियां हासिल कर चुके हैं। इसके लिए राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता और कम से कम आठ में से तीन मानदंडों को पूरा करना जरूरी है, जैसे पुरस्कार, प्रकाशन या क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान।
इसकी लागत में USCIS शुल्क 1,055 डॉलर (लगभग 92,000 रुपये), प्रीमियम प्रोसेसिंग 2,805 डॉलर (लगभग 2.5 लाख रुपये), कानूनी शुल्क 4.8 लाख से 7 लाख रुपये और 2025 से लागू वीजा इंटेग्रिटी शुल्क 250 डॉलर (लगभग 22,000 रुपये) शामिल हैं। इसके लिए व्यापक दस्तावेजीकरण की जरूरत होती है।
EB-5 वीजा उन निवेशकों के लिए है जो अमेरिका में बड़ा निवेश कर स्थायी निवास चाहते हैं। इसके लिए न्यूनतम $800,000 (लगभग 70.4 लाख रुपये) टारगेटेड एम्प्लॉयमेंट एरिया (TEA) में या $1,050,000 (लगभग 92 लाख रुपये) गैर-TEA प्रोजेक्ट में निवेश करना होगा। साथ ही, कम से कम 10 पूर्णकालिक नौकरियां सृजित या संरक्षित करनी होंगी।
लागत में प्रशासनिक शुल्क (निवेश का 10%, लगभग 7 लाख रुपये), कानूनी शुल्क (22 लाख से 30.8 लाख रुपये), और USCIS शुल्क (12,160 डॉलर या लगभग 10.6 लाख रुपये और I-829 के लिए 9,525 डॉलर या लगभग 8.3 लाख रुपये) शामिल हैं। निवेश जोखिम भरा होना चाहिए, जिसमें नुकसान की संभावना हो।
OPT: छात्रों के लिए व्यावहारिक प्रशिक्षण
वैकल्पिक व्यावहारिक प्रशिक्षण (OPT) F-1 छात्र वीजा धारकों के लिए है, जो अपनी पढ़ाई के बाद अपने अध्ययन क्षेत्र से संबंधित नौकरी में अनुभव प्राप्त करना चाहते हैं। इसके लिए कम से कम एक शैक्षणिक वर्ष पूरा करना जरूरी है और रोजगार छात्र के प्रमुख अध्ययन क्षेत्र से संबंधित होना चाहिए।
OPT की लागत में 520 डॉलर (लगभग 45,500 रुपये) का आवेदन शुल्क और वैकल्पिक कानूनी सहायता शुल्क शामिल हैं। यह 12 महीने तक वैध है, और STEM स्नातकों के लिए 24 महीने का अतिरिक्त विस्तार उपलब्ध है।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने एक और बड़ा फैसला लेकर लाखों विदेशी कर्मचारियों की चिंता बढ़ा दी है. H-1B वीजा पर पहले ही 1 लाख डॉलर की वार्षिक फीस लगाई जा चुकी है और अब इसके चयन सिस्टम में भी बड़ा बदलाव प्रस्तावित किया गया है. मंगलवार को अमेरिकी प्रशासन ने घोषणा की कि अब तक लागू लॉटरी सिस्टम को हटाकर एक नया वेतन-आधारित चयन लागू किया जा सकता है.
इस नए नियम का असर भारतीय कामगारों पर पड़ेगा क्योंकि H-1B वीजा के सबसे बड़े लाभार्थी भारतीय ही हैं. पहले ये लॉटरी सिस्टम से मिलता था लेकिन अब अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी ने लॉटरी खत्म करने का प्रस्ताव रखा है. नए प्लान के तहत वीजा का चयन एक चार-स्तरीय वेतन प्रणाली पर होगा. ये सिस्टम अमेरिका में काम का सपना देख रहे भारतीयों के लिए और भी ज्यादा मुश्किलें पैदा करेगा.