पुणे।
देश के प्रसिद्ध खगोल भौतिकशास्त्री (Astrophysicist) प्रो. जयंत विष्णु नार्लीकर को मरणोपरांत ‘विज्ञान रत्न पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है। भारत सरकार ने यह सम्मान अंतरिक्ष और ब्रह्मांडीय सिद्धांतों में उनके असाधारण योगदान के लिए प्रदान किया है।
प्रो. नार्लीकर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से प्राप्त की थी, जहां उन्होंने गणित में स्नातक और स्नातकोत्तर की उपाधि ली। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पीएचडी की, जहाँ उन्होंने महान वैज्ञानिक फ्रेड होयल के साथ कार्य किया।
नार्लीकर का नाम उस युगांतरकारी वैज्ञानिकों में गिना जाता है जिन्होंने ‘बिग बैंग थ्योरी’ को चुनौती देते हुए ‘स्टेडी स्टेट थ्योरी’ (Steady State Theory) को आगे बढ़ाया। उनका मानना था कि ब्रह्मांड की उत्पत्ति एक बार में नहीं हुई, बल्कि यह निरंतर सृजन की प्रक्रिया का परिणाम है।
वे लंबे समय तक इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (IUCAA), पुणे के संस्थापक-निदेशक रहे और भारतीय विज्ञान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाई।
प्रो. नार्लीकर को पहले भी पद्म भूषण, पद्म विभूषण, और कई अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक सम्मानों से नवाज़ा जा चुका है।
उनका शोध कार्य न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण को गहराई देता है बल्कि भारतीय युवाओं को शोध और नवाचार की दिशा में प्रेरित करता है।














