Pune ।“BHARAT उम्मीद की गूंज निकिता की तालियां” पुणे के पिंपरी-चिंचवड़ (तुलजाई नगर) की 19 वर्षीय निकिता संजय धस का हर दिन एक अनोखे अंदाज़ से शुरू होता है – तालियों की गूंज के साथ।
निकिता की ये तालियां सिर्फ़ आवाज़ नहीं, बल्कि उनकी भावनाओं और ज़रूरतों की भाषा हैं – भूख, ख़ुशी या बाहर जाने की इच्छा का संकेत।
उम्मीद की गूंज: माँ-बेटी का संघर्ष और सफ़र
निकिता जन्म के समय पूरी तरह सामान्य थीं, लेकिन साढ़े तीन साल की उम्र में उनका विकास रुक गया। तब से शुरू हुआ माँ गीता और बेटी निकिता का संघर्ष और उम्मीदों से भरा सफ़र।
गीता बताती हैं –
“मैं निकिता को एक पल भी अकेला नहीं छोड़ सकती। लेकिन इस सफ़र में मैं अकेली नहीं हूँ।”
समावेशी शिक्षा और समर्थन – PCMC-DBF केन्द्र
निकिता हफ्ते में चार दिन अपनी माँ के साथ पिंपरी चिंचवड़ महानगर पालिका दिव्यांग भवन संस्थान (PCMC-DBF) जाती हैं।
यह UNICEF समर्थित अपनी तरह का पहला समावेशी सहायता केन्द्र है, जहाँ संगीत, नृत्य, थैरेपी और कला के ज़रिए विकलांग बच्चों की क्षमताएँ निखारी जाती हैं।
शुरुआत में निकिता यहाँ रोती थीं, लेकिन अब खुद आने की ज़िद करती हैं। यह केन्द्र न सिर्फ़ शिक्षा देता है, बल्कि बच्चों को एहसास कराता है कि वे अकेले नहीं हैं।
माँ – सिर्फ़ माँ नहीं, बल्कि शिक्षक और थैरेपिस्ट
घर पर गीता, स्मार्ट टीवी की मदद से निकिता को रंग भरना और नई चीज़ें सिखाती हैं।
आज गीता सिर्फ़ माँ नहीं, बल्कि निकिता की शिक्षिका, थैरेपिस्ट और सबसे बड़ी ताक़त बन गई हैं।
PCMC-DBF से उन्हें हर महीने ₹3,000 की सहायता मिलती है। यह राशि भले ही छोटी हो, लेकिन यह बड़ी उम्मीद की शुरुआत है।
समावेशी भविष्य की ओर कदम
फ़रवरी 2024 से अब तक यह केन्द्र 750+ विकलांग व्यक्तियों को सहयोग दे चुका है। यहाँ 41 कर्मचारियों में से 8 विकलांगजन भी काम कर रहे हैं, जो समावेशी भारत की मिसाल है।
जनवरी 2025 में UNICEF और PCMC-DBF ने मिलकर एक विकलांग-समावेशी रणनीति बनाई, जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, बाल संरक्षण, जल-स्वच्छता और समावेशी आँकड़ों पर विशेष ध्यान दिया गया।
निकिता की तालियां आज सिर्फ़ ज़रूरत का इशारा नहीं, बल्कि एक ऐसी उम्मीद की गूंज हैं, जो हमें बराबरी और समावेशन वाले भारत की ओर ले जाती हैं।
BHARAT: पुणे के पिंपरी-चिंचवड़ के तुलजाई नगर में रहने वाली 19 वर्षीय निकिता संजय धस का दिन ताली बजाकर ख़ास अन्दाज़ में शुरू होता है ।
बौद्धिक विकलांगता से जूझ रही निकिता के लिए ताली दरअसल भूख, प्रसन्नता या बाहर जाने की इच्छा व्यक्त करने का माध्यम है. निकिता की ये तालियाँ, उनकी माँ गीता के लिए, केवल संकेत नहीं, बल्कि ममता और देखभाल की अपनी अलग भाषा हैं।
निकिता जन्म के समय बिल्कुल सामान्य थी, लेकिन साढ़े तीन साल की उम्र तक पहुँचते-पहुँचते उसका विकास रुक-सा गया. वहीं से शुरू हुआ माँ-बेटी का संघर्ष और उम्मीदों से भरा सफ़र.
गीता कहती हैं, “मैं निकिता को एक पल के लिए भी तन्हा नहीं छोड़ सकती. लेकिन इस राह में मैं अकेली नहीं हूँ.” क्योंकि निकिता, हर सप्ताह चार दिन, अपनी माँ के साथ पिंपरी चिंचवड़ महानगर पालिका दिव्यांग भवन संस्थान (PCMC-DBF) में जाती हैं । घर पर रंग भरते हुए निकिता अपनी माँ गीता के साथ ताली देकर ख़ुशी का इज़हार करती हैं.
UNICEF/Faisal Magray
यह अपनी तरह का पहला समावेशी सहायता केन्द्र है, जिसे स्थानीय प्रशासन ने, विकलांग बच्चों और उनके परिवारों के लिए शुरू किया है.
गीता बताती हैं, “शुरू में निकिता यहाँ रोती थी, लेकिन अब खुद ज़िद करती है इस केन्द्र में आने के लिए. वहाँ संगीत है, नृत्य है, थैरेपी है और सबसे ज़रूरी, उसके जैसे दूसरे बच्चे भी हैं. अब उसे लगता है कि वह अकेली नहीं है.”
UNICEF/Faisal Magray केन्द्र में कला शिक्षक, वाक प्रशिक्षक और नृत्य शिक्षिका मिलकर, निकिता की क्षमताएँ निखार रहे हैं। घर पर गीता, स्मार्ट टीवी की मदद से निकिता को सिखाती हैं. अब गीता सिर्फ़ माँ नहीं, बल्कि निकिता की शिक्षिका, थैरेपिस्ट और सबसे बड़ी ताक़त बन गई हैं.। निकिता की देखभाल के लिए, दिव्यांग भवन संस्थान (PCMC-DBF) से, हर महीने 3,000 रुपए की मदद मिलती है. यह राशि भले ही छोटी हो, लेकिन यह बड़ी शुरुआत की प्रतीक है.
फ़रवरी 2024 में शुरू हुआ यह केन्द्र, अब तक 750 से ज़्यादा विकलांग व्यक्तियों की मदद कर चुका है. यहाँ न केवल थैरेपी और प्रशिक्षण मिलता है, बल्कि 41 कर्मचारियों में से 8 विकलांग जन भी काम करते हैं।
© UNICEF/Faisal Magray पीसीएमसी-DBF ने, जनवरी 2025 में यूनी सेफ़ के साथ साझेदारी करके, विकलांग-समावेशी रणनीति तैयार की, जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, बाल संरक्षण, जल-स्वच्छता और समावेशी आँकड़ों पर विशेष ध्यान दिया गया है। यानी निकिता की तालियाँ अब केवल ज़रूरत का इशारा नहीं, बल्कि उस भविष्य की पुकार हैं जहाँ सबको बराबरी का हक़ मिले.