छिंदवाड़ा, 16 अक्टूबर।
Chhindwara Water Contaminationमध्य प्रदेश के छिं :दवाड़ा (Chhindwara) जिले में एक बार फिर से जनस्वास्थ्य को लेकर चिंता बढ़ गई है। Toxic Syrup प्रकरण के बाद अब दूषित पानी (Water Contamination) ने लोगों की सेहत पर संकट खड़ा कर दिया है। कई इलाकों में अचानक बीमारियां फैलने लगी हैं, जिससे इलाके में हड़कंप मच गया है। अब तक लगभग 30 से अधिक लोग बीमार हो चुके हैं, जिनमें से 10 की हालत नाज़ुक बताई जा रही है।
अचानक बढ़े मरीज, अस्पतालों में भीड़
बीमार लोगों में उल्टी, दस्त, पेट दर्द और बुखार जैसे लक्षण पाए जा रहे हैं। स्थानीय अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ने से स्वास्थ्य विभाग में भी अफरा-तफरी मच गई है। डॉक्टरों का कहना है कि सभी मरीज दूषित पानी पीने के कारण बीमार हुए हैं। कई लोगों को डिहाइड्रेशन की समस्या भी हुई है, जिन्हें तत्काल जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया।
जिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. रजनीश दुबे ने बताया, “प्रारंभिक जांच से यह स्पष्ट हुआ है कि यह मामला वाटरबॉर्न डिज़ीज़ (Waterborne Diseases) का है। अधिकांश मरीज एक ही इलाके के हैं, जिससे साफ है कि वहां की पानी सप्लाई दूषित है।”
लोगों की शिकायतें अनसुनी रहीं
स्थानीय निवासियों ने बताया कि पिछले कई दिनों से नलों और हैंडपंपों से आने वाला पानी बदबूदार और गंदा था। कई बार नगर निगम और जल विभाग को शिकायत दी गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। लोगों ने बताया कि जब पानी का रंग पीला और स्वाद अजीब लगने लगा, तब उन्हें शक हुआ कि कुछ गड़बड़ है। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
प्रशासनिक कार्रवाई तेज
मामला सामने आने के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया। CMHO डॉ. संजय शर्मा ने बताया कि “पानी के कई सैंपल लिए गए हैं और उन्हें जांच के लिए लैब भेजा गया है। प्रारंभिक रिपोर्ट में बैक्टीरिया की मौजूदगी की संभावना जताई जा रही है।”
इसके साथ ही नगर निगम ने प्रभावित इलाके की पानी सप्लाई रोक दी है और टैंकरों के जरिए स्वच्छ पानी की व्यवस्था की जा रही है। मेडिकल टीमों को गांव और मोहल्लों में भेजा गया है ताकि नए मरीजों की पहचान की जा सके।
Toxic Syrup के बाद दूसरी बड़ी हेल्थ क्राइसिस
कुछ हफ्ते पहले ही Toxic Syrup मामले ने प्रदेश को हिला दिया था, जिसमें मिलावटी दवाओं के सेवन से कई बच्चों की जान गई थी। अब Chhindwara Water Contamination की यह घटना प्रशासनिक लापरवाही को फिर से उजागर कर रही है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ये घटनाएं प्रदेश में सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था की कमजोरियों को सामने लाती हैं।
पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. मीनाक्षी वर्मा का कहना है, “बार-बार ऐसी घटनाएं होना बताता है कि न तो पानी की गुणवत्ता की नियमित जांच की जाती है, और न ही जलशुद्धिकरण संयंत्रों की निगरानी ठीक ढंग से हो रही है। यह सीधे लोगों की जान से खेलने जैसा है।”
सरकार की सख्त प्रतिक्रिया
राज्य सरकार ने घटना को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि “किसी भी कीमत पर जनता की सेहत से समझौता नहीं किया जाएगा। जिन अधिकारियों की लापरवाही से यह स्थिति बनी है, उन्हें जवाब देना होगा।”
जनता में डर और नाराजगी
इलाके में लोगों में दहशत का माहौल है। कई परिवार अब हैंडपंप या नगर निगम के पानी पर भरोसा नहीं कर रहे हैं। कुछ ने तो खुद के खर्चे पर पैकेज्ड वाटर मंगवाना शुरू कर दिया है। सोशल मीडिया पर भी लोगों का गुस्सा साफ दिखाई दे रहा है। नागरिक संगठन अब प्रशासन से मुआवजे और स्थायी समाधान की मांग कर रहे हैं।
जांच जारी, रिपोर्ट का इंतजार
फिलहाल, प्रशासन की टीमें मौके पर हैं और पानी की गुणवत्ता की जांच कर रही हैं। लैब रिपोर्ट आने के बाद ही यह तय होगा कि पानी में किस तरह का बैक्टीरिया या रासायनिक तत्व मिला हुआ था। अधिकारियों का कहना है कि रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।
Chhindwara Water Contamination घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि स्वच्छ जल आपूर्ति जैसी बुनियादी व्यवस्था में थोड़ी सी लापरवाही भी बड़े जनस्वास्थ्य संकट में बदल सकती है। उम्मीद है कि इस बार प्रशासन सिर्फ तात्कालिक उपायों पर नहीं रुकेगा, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएगा।














