उत्तर प्रदेश के अयोध्या में नाबालिग गैंगरेप केस में अब राजनीति गरमा गई है. बीजेपी इस मामले में सपा को पूरी तरह से घेरने में जुटी है, क्योंकि आरोपी मुस्लिम समाज से हैं और पीड़िता अतिपिछड़े वर्ग से है. लोकसभा चुनाव में जिस पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए राजनीति के सहारे अखिलेश यादव ने बीजेपी को मात दी थी, अब उस पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं.
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के नतीजे से समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के हौसले बुलंद थे, क्योंकि सपा 37 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है. सपा ने 2027 में सूबे की सत्ता पर काबिज होने का सपना संजोय रखा था, जिसके चलते पार्टी अपने सियासी आधार को बढ़ाने में जुटी हुई थी. ऐसे में अयोध्या में हुए रेप कांड ने सपा के सियासी गणित को बिगाड़ दिया है. अयोध्या की घटना को लेकर योगी सरकार और बीजेपी नेताओं ने जिस तरह आक्रामक रुख अपना रखा है, उसके जरिए माना जा रहा है कि सपा के पीडीए फॉर्मूले में सेंधमारी का प्लान है.
अयोध्या में एक अति-पिछड़ी जाति की नाबालिग लड़की के साथ रेप की घटना ने सपा को घेरने का मुद्दा दे दिया है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा सदन में खुद इस मुद्दे को उठाया था. अयोध्या में निषाद समुदाय से आने वाली नाबालिग लड़की के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया है. इस मामले में सपा के स्थानीय नेता मोईद खान पर आरोप लगे हैं, जोकि गिरफ्तार हो चुके हैं और उन पर कानूनी शिकंजा भी कसा जाने लगा है. आरोपी की अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर का एक्शन भी शुरू हो गया है. बीजेपी नेता अयोध्या की घटना को आधार बनाकर सपा को मुस्लिम परस्त और अति पिछड़ा विरोधी बनाकर कठघरे में खड़ा करने में जुट गए हैं.
अयोध्या गैंगपेर में राजनीति गरमाई
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में नाबालिग गैंगरेप केस में अब राजनीति गरमा गई है. बीजेपी इस मामले में सपा को पूरी तरह से घेरने में जुटी है, क्योंकि आरोपी मुस्लिम समाज से हैं और पीड़िता अतिपिछड़े वर्ग से है. अयोध्या की पीड़िता के परिवार से सीएम खुद मिल चुके हैं और सीएम ने पांच लाख रुपये की मदद की है. सरकार के मंत्री और सहयोगी दल निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद सहित पार्टी के कई चेहरे पीड़िता के घर भी पहुंचे. लोकसभा चुनाव में जिस पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए राजनीति के सहारे अखिलेश यादव ने बीजेपी को मात दी थी, अब उस पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं.
अयोध्या में उपचुनाव नजदीक
आयोध्या में नाबालिग के साथ गैंगरेप की घटना ऐसे समय हुई है, जब अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव को लेकर सियासी तपिश गर्म है. इस सीट से विधायक रहे अवधेश प्रसाद फैजाबाद से सांसद बन गए हैं और सपा उन्हें हर सियासी मंच पर विजय ‘ट्र्राफी’ की तरह पेश कर रही है.
अखिलेश सड़क से संसद तक उन्हें अपने साथ लेकर चलते हैं. 2024 में अयोध्या सीट पर मिली हार ने बीजेपी को तगड़ा झटका दिया था, लेकिन अयोध्या की गैंगरेप घटना के आरोपी एक वर्ग विशेष के साथ-सपा के नेता भी है. ऐसे में बीजेपी को सपा पर आक्रमक होने का मौका दे दिया है.
बीजेपी ने किया सपा पर हमला
बीजेपी नेताओं का कहना है कि अल्पसंख्यक वोट बैंक की राजनीति के लिए इस घिनौनी वारदात पर भी सपा नेता बोलने से बच रहे हैं. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर करारा हमला बोला है. अखिलेश यादव को कांग्रेस का मोहरा बताते हुए केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि निषाद समाज की पीड़ित बेटी के मामले में पहले आप पीडीए भूल डीएनए और अब न्यायालय की बात कर गुमराह न करें. आपको वोट बैंक के नाराज होने की चिंता है. प्रदेशवासियों को दोषी को दंड और पीड़ित को न्याय दिलाने की अपेक्षा है. सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाएगी.
अखिलेश ने योगी सरकार से की अपील
वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अयोध्या की घटना पर योगी सरकार से पीड़िता के अच्छे मेडिकल जांच और इलाज कराने की अपील की है. साथ ही उन्होंने कहा है कि पीड़िता के जीवन की रक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है और कहा कि आरोपी की डीएनए जांच कराई जाए ताकि सारी चीजे साफ हो सकें. बीजेपी नेताओं की बयानबाजी पर भी सख्त रुख अपनाते हुए कहा है कि बदनीयत लोगों की इस प्रकार की घटनाओं के राजनीतिक कारण का मंसूबा कामयाब नहीं होने देना चाहिए.
वहीं, अयोध्या से सांसद बने अवधेश प्रसाद ने कहा कि आरोपी को सख्त से सख्त सजा दी जाए और उन्होंने पीड़िता को 20 लाख का मुआवजा देने की मांग उठाई. उन्होंने कहा कि बीजेपी इस मामले में सिर्फ सियासत कर रही है, उसका पीड़िता को इंसाफ देने का मकसद नहीं है.
क्या है बीजेपी की रणनीति
अयोध्या की घटना पर सख्त एक्शन के साथ ही बीजेपी को सपा पर हमलावर होकर जनता के मानस पर वह तस्वीर खींचने का मौका मिल गया, जिसके बहाने दोबारा से यूपी में अपने खिसके जनाधार को वापस जोड़ सके. बीजेपी की इस घटना के बाद अति-पिछड़े, दलितों के साथ ही महिलाओं के बीच यह संदेश ठीक से पहुंचाने की रणनीति है. बीजेपी की इससे सपा के पीडीए का तिलिस्म तोड़ने की स्ट्रेटेजी है.
2024 के लोकसभा चुनाव में दलित और ओबीसी वोटों के छिटकने से ही बीजेपी यूपी में नंबर एक से दूसरे नंबर की पार्टी बन गई है. बीजेपी की कोशिश अपने खिसके हुए जनाधार को वापस लाने की है, जिसके लिए उसे अयोध्या की घटना ने मौका दे दिया है. सपा को कशमकश में डाल दिया है और जिस तरह सपा ने यूपी में दलित, पिछड़े वोटों को साधकर एक मजबूत समीकरण बनाया था, वो अब गड़बड़ाता नजर आ रहा है.
स्रोत: tv9