जया किशोरी ने बताया प्यार और मोह में अंतर, बोली ‘धृतराष्ट्र ने मोह में कर दी अपनी और बच्चों की जिंदगी खराब’

जया किशोरी ने बताया प्यार और मोह में अंतर, बोली ‘धृतराष्ट्र ने मोह में कर दी अपनी और बच्चों की जिंदगी खराब’

जया किशोरी ने बताया प्यार और मोह में अंतर, बोली ‘धृतराष्ट्र ने मोह में कर दी अपनी और बच्चों की जिंदगी खराब’

आप अपने पार्टनर से प्यार करते हैं या फिर ये सिर्फ मोह है? यकीनन आपका जवाब प्यार ही होगा। लेकिन अगर हम करें कि वो भी मोह हो सकता है तो? हमारी बात को बेहतर तरीके से समझने के लिए जरूरी है कि आप जया किशोरी की इन बातों को जानें और समझें।

बात चाहे मां-पापा की हो, पति-पत्नी की हो या फिर गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड की, प्यार के साथ-साथ इनके रिश्ते में मोह भी होता है, जिसमें अंतर कर पाना भले ही आसान हो लेकिन मानता कोई नहीं हैं। हर कोई अपने भावनाओं को प्यार का नाम दे देता है।

इसी विषय पर बात करते हुए मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी ने इंटरव्यू के दौरान प्यार और मोह के बीच अंतर बताया। उन्होंने इसका इतना बेहतरीन उदाहरण दिया कि अगर आप भी जान लें तो एक बार में ही सारा वहम दूर हो जाएगा। साथ ही आपकी सामने वाले के लिए क्या फीलिंग है, वो भी जान जाएंगे। (फोटो साभार: इंस्टाग्राम @iamjayakishori)

जया किशोरी ने मोह का दिया ये उदाहरण

जया किशोरी ने मोह का दिया ये उदाहरण

हर कोई किसी के लिए अपने मोह को प्यार का नाम दे देता है, लेकिन जया किशोरी ने धृतराष्ट्र और दुर्योधन का बहुत ही अच्छा उदाहरण देते हुए समझाया कि ‘जो धृतराष्ट्र ने दुर्योधन से किया था, वो मोह था। उसने अपनी भी जिंदगी बर्बाद की और अपने बच्चों की भी जिंदगी बर्बाद की, नाम प्यार का दे दिया।’ ये बार हर किसी को पढ़नी और समझनी चाहिए।

प्यार देता है आजादी

प्यार देता है आजादी

प्यार और मोह के बीत अंतर बताते हुए कहा कि ‘प्यार और मोह में बिल्कुल अंतर होता है। प्यार फ्रीडम है, मोह बॉन्डेज, कि आप एक सेट कर लेते हैं, ऐसा होगा वैसा होगा, ये होगा वो होगा, ऐसी दुनिया होगा वैसी दुनिया होगी। ये प्यार नहीं है क्योंकि सोची समझी चीज आप कर रहे हैं। प्यार एकदम फ्रीडम और फ्रीडम कैसी कि आप हर चीज देख कर रहे हैं। आपको पता है, क्या सही है और फिर उसके बाद अपना चुनाव करते हैं आप, यही लॉन्ग टर्म लव होता है।’

यानी कि सामने वाले की हर अच्छी बूरा आदत तो देखने और समझने के बात आप उनके साथ रहने का चुनाव करते हैं, और यही प्यार होता है।

अर्जुन और कृष्ण को बताया प्यार का प्रतीक

अर्जुन और कृष्ण को बताया प्यार का प्रतीक

अपनी बात को आगे कहते हुए जया किशोरी कहती हैं कि ‘आज मैं ये बात कहती हूं कि, मैंने जिसमें धृतराष्ट्र और दुर्योधन की बात कही… प्यार तो अर्जुन और कृष्ण है। गलत था तब टोका, जब सही था, तब साथ दिया।’

‘धृतराष्ट्र ने हर चीज में दुर्योधन का साथ दिया, अंत में किसका क्या हुआ आपको पता ही है। जो हम कहते हैं न कि प्यार अंधा होता है, वो क्या है, हम हर चीज में कह देते हैं कि हां-हां प्यार है, वो प्यार नहीं है, वो मोह है और वो दोनों को ले कर डूबेगा।’

इससे हमें भी ये सीख मिलती है कि अपने पार्टनर की हर बात में हामी भरना, उसके हर अच्छे-बुरे काम में साथ देने प्यार नहीं है। प्यार तो अपने साथी को सही होने पर प्रोत्साहित करना और गलत होने पर टोकना है।

क्यों जरूरी है प्यार और मोह के बीच अंतर जानना

क्यों जरूरी है प्यार और मोह के बीच अंतर जानना

अक्सर देखा जाता है कि कुछ लोग अपने रिश्ते को प्यार का नाम दे देते हैं और फिर पार्टनर को बांधने और कंट्रोल में रखने की कोशिश करते हैं। लेकिन अगर आप सच में किसी से प्यार करते हैं तो उन्हें किसी भी तरह के पिंजरे में न रखें, उनके पीछे इतने दीवाने न हों कि सामने वाले का गलत काम भी आपको सही लगे। बल्कि अपने साथ-साथ पार्टनर को भी लाइफ में कुछ करने और अपने अरमानों को पूरा करने के लिए प्रेरित करें।

ये बात न सिर्फ पति-पत्नी या फिर गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड पर लागू होती है, बल्कि माता-पिता और बच्चों के साथ-साथ भाई बहनों पर भी लागू होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि प्यार और मोह किसी से भी किया हो सकता है।

स्रोत: नवभारत टाइम्स