तीन आरतियों के बिना अधूरा है करवा चौथ का व्रत,

तीन आरतियों के बिना अधूरा है करवा चौथ का व्रत,

Karwa Mata Ki Aarti: करवा चौथ व्रत में करवा माता, गणेश जी और माता पार्वती की पूजा विशेष महत्व रखती है। पूजा को पूर्ण बनाने के लिए इन देवी-देवताओं की आरतियों का गान आवश्यक माना जाता है।
Karwa Chauth Aarti Lyrics in Hindi Ganesh ji, Karwa Mata and Chandra Dev Aarti
करवा चौथ, भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे विशेष रूप से महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए निभाती हैं। यह दिन न केवल उपवास का होता है, बल्कि एक गहरी भावना और विश्वास का भी प्रतीक है। महिलाएं पूरे दिन बिना पानी के उपवासी रहती हैं, और रात को चंद्रमा की पूजा करने के बाद ही उपवास खोलती हैं। इस दिन, व्रति (व्रत रखने वाली महिलाएं) विशेष रूप से करवा मैया, भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी और कार्तिकेय जी की पूजा करती हैं, ताकि उनके घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहे । अभिजीत मुहूर्त से निशिता काल तक, जानें करवा चौथ की पूजन विधि और चंद्र दर्शन का समय
यह व्रत सौभाग्य और पतिव्रता धर्म का प्रतीक है, और इसकी पूजा में कुछ खास आरतियां भी गाई जाती हैं। इन आरतियों का गान न केवल पूजा को संपूर्णता प्रदान करता है, बल्कि इसे एक संस्कारिक अनुभव भी बनाता है। करवा चौथ की प्रमुख आरती ।

करवा माता की आरती

ॐ जय करवा मैया, माता जय करवा मैया जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया ॐ जय करवा मैया

सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी

यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी

ॐ जय करवा मैया।

कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती दीर्घायु पति होवे, दुख सारे हरती.. ॐ जय करवा मैया

होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे ॐ जय करवा मैया

करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे ॐ जय करवा मै

गणेश जी आरती

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी।
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अन्धे को आँख देत, कोढ़िन को काया।
बाँझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ।।
‘सूर’ श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा :

चंद्र देव की आरती

ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा ।
दुःख हरता सुख करता, जय आनन्दकारी ।
रजत सिंहासन राजत, ज्योति तेरी न्यारी ।
दीन दयाल दयानिधि, भव बन्धन हारी ।
जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे ।
सकल मनोरथ दायक, निर्गुण सुखराशि ।
योगीजन हृदय में, तेरा ध्यान धरें ।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, सन्त करें सेवा ।
वेद पुराण बखानत, भय पातक हारी ।
प्रेमभाव से पूजें, सब जग के नारी ।
शरणागत प्रतिपालक, भक्तन हितकारी ।
धन सम्पत्ति और वैभव, सहजे सो पावे ।
विश्व चराचर पालक, ईश्वर अविनाशी ।
सब जग के नर नारी, पूजा पाठ करें ।
ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा