नंगे पांव गांव-गांव घूमीं, ऑर्गेनिक खेती को लेकर जगाई अलख, कौन थीं पद्मश्री कमला पुजारी?

नंगे पांव गांव-गांव घूमीं, ऑर्गेनिक खेती को लेकर जगाई अलख, कौन थीं पद्मश्री कमला पुजारी?

नंगे पांव गांव-गांव घूमीं, ऑर्गेनिक खेती को लेकर जगाई अलख, कौन थीं पद्मश्री कमला पुजारी?
कमला पुजारी नहीं रहीं… एक ऐसी महिला जिनके चेहरे की मासूमियत में उनकी जिजीविषा भी दिखती हो, जिनका दिल धान, फसल की बालियों के बीच धड़कता हो, जो नंगे पांव गांव गांव महज इसलिए घूमती रही हों ताकि लोगों के बीच जागरुकता पैदा करें… वह अब हमारे बीच नहीं हैं..

Padma Shri Kamala Pujari Profile: एक ऐसी महिला जिनके चेहरे की मासूमियत में उनकी जिजीविषा भी दिखती हो, जिनका दिल धान, फसल की बालियों के बीच धड़कता हो, जो नंगे पांव गांव गांव महज इसलिए घूमती रही हों ताकि लोगों के बीच जागरुकता पैदा करें… सिखाती रही हों खेती किसानी के बेहतर तरीके, बेहतर जैविक खेती की जरुरत से करवाती रही हों लोगों को अवगत… वह अब हमारे बीच नहीं हैं. सबकुछ छोड़छाड़कर पद्मश्री पुरस्कार से नवाजी गईं कमला पुजारी देशवासियों को छोड़कर चली गईं.

आइए नजर डालें कमला पुजारी के सफर के कुछ हिस्सों पर…

पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित और प्रसिद्ध जैविक किसान कमला पुजारी 20 जुलाई को किडनी की बीमारियों से पीड़ित होने के कारण चल बसीं. चीफ मिनिस्टर के कार्यालय से यह खबर प्रसारित की गई. उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा.

कमला पुजारी को 2019 में जैविक खेती को बढ़ावा देने और स्वदेशी बीजों की 100 से अधिक किस्मों के संरक्षण के लिए पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया था. पुजारी ने अपनी गांवों की यात्राओं में किसानों, खासकर महिलाओं को जैविक खेती और जैविक उर्वरकों के उपयोग के बारे में सिखाया

कोरापुट में जन्मी और परोजा जनजाति से ताल्लुक रखती थीं कमला पुजारी. उन्होंने जैविक खेती और देशी धान की किस्मों के संरक्षण में काफी योगदान दिया. उनके योगदान के लिए दुनिया भर में उन्हें सराहा गया.

धान की 100 से अधिक किस्मों को संरक्षित करने के अलावा, उन्होंने कई प्रकार की हल्दी, जीरा आदि को भी संरक्षित किया. कोरापुट की रहने वाली पुजारी ने जयपुर में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन से धान को संरक्षित करने की बुनियादी तकनीकें सीखीं थीं.

जैविक खेती और धान संरक्षण से जुड़े उनके प्रयासों से उन्हें 2002 में दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में ‘इक्वेटर इनिशिएटिव अवार्ड’ भी मिला.

पुजारी को दो दिन पहले किडनी संबंधी बीमारियों के कारण कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती कराया गया था. कमला पुजारी आज 74 वर्ष की थीं और उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं.

कमला पुजारी की हालत दिनोंदिन बिगड़ती जा रही थी. उन्हें जयपुर जिला मुख्यालय अस्पताल से कटक लाया गया था लेकिन तबियत संभल न सकी. माझी ने पुजारी के बेटे टंकधर पुजारी से फोन पर बात करके निधन पर शोक जताया.

स्रोतः न्यूज 18