हथकड़ी माता मंदिर : जहां भक्त चढ़ाते हैं हथकड़ियां

हथकड़ी माता मंदिर : जहां भक्त चढ़ाते हैं हथकड़ियां

हथकड़ी माता मंदिर : जहां भक्त चढ़ाते हैं हथकड़ियां

हथकड़ी माता मंदिर चित्तौड़गढ़
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इस मंदिर की सबसे विशेष परंपरा है हथकड़ी चढ़ाना जिसे लेकर मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति जेल या पुलिस की गिरफ्त से मुक्त होने की कामना माता से करता है और उसकी मनोकामना पूर्ण होती है, तो वह गुप्त रूप से आकर मंदिर में हथकड़ी चढ़ा देता है। इस विश्वास के चलते यहां मंदिर की दीवारों और कोनों में हथकड़ियां लटकी देखी जा सकती हैं। यह परंपरा माता की न्याय कारी शक्ति और भक्तों की अटूट आस्था का प्रतीक मानी जाती है।
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जोगणिया माता मंदिर का इतिहास

जोगणिया माता मंदिर का इतिहास 8 वीं-9वीं शताब्दी तक जाता है। माना जाता है कि आरंभ में यह अन्नपूर्णा देवी का मंदिर था। एक किंवदंती के अनुसार, हाड़ा शासक बंबावदा गढ़ की कठिन परिस्थितियों के समय देवी ने एक जोगिन का रूप धारण किया और बाद में सुंदर स्त्री स्वरूप में प्रकट हुईं। इस लीला के कारण वे “जोगणिया माता” के नाम से विख्यात हुईं। हाड़ा चौहान शासकों ने इस मंदिर का निर्माण करवाया और तब से यह उनकी कुलदेवी के रूप में पूजित है।
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नवरात्रि के पावन दिनों में यहां श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है। ढोल-नगाड़ों और शंखनाद के बीच वातावरण “जय माता दी” के उद्घोष से गूंज उठता है। मां के दरबार में दीपों की ज्योति, भजन–कीर्तन और आस्था की लहर हर भक्त के हृदय को भक्ति रस से भर देती है।